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11 Jul 2023 · 1 min read

बूढ़े बाबा

सफ़ेद दाढ़ी सफेद बाल
कपड़े भी सारे ही सफ़ेद
बूढ़े बाबा मुझे देख रहे थे जैसे
अपने अतीत में झांक रहे हों

ज्यों नज़र उनसे मिली
मुझे भी एहसास हुआ
मेरे आने वाले भविष्य का
एक दिन जरूर
मैं भी वैसे ही हो जाऊंगा!
दुर्बल शरीर, उभरी नसें।

कुछ भी अटल नहीं है,
अटल है तो सिर्फ है परिवर्तन
मात्र यही शाश्वत सत्य है जीवन का।

उन कमजोर पर चमकती
आँखों ने देखा हुआ है
बदलते इतिहास को
बड़ी से बड़ी इमारत को
खंडहर में बदलते
वीरान खाली पड़ी जमीं पर
शहर बसते
रोज ही नया आरम्भ होते
और
किसी आरम्भ का अंत होते ।

वे चमकती आंखों और स्थिर मुस्कान
कह रहीं थीं सब कुछ
बिना कुछ बोले!
🖋️अटल©

Language: Hindi
123 Views
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