बूंद बचाकर
यूँ ना करो तुम पानी की बर्बादी
संकटों में पड़ जायेगी मानव की आबादी
हर घर मे हो एक ही संकल्प
पानी का नहीं है दूसरा विकल्प
प्रण लेना है हम सबको मिलकर
पानी की हर एक बूंद बचाकर
ये खूबसूरत सी धरा
बिन पानी रहेगी बेधरा
अंतर्मन की गहराइयों से आज्ञा
जल ही जीवन लें ऐसी प्रतिज्ञा।।
??रचनाकार:– दिनेश सिंह:नेगी??