बुरे दौर को गुज़र जाने दो
माना ये मन हारा हारा है,
भटका ये घट घट है,
मन के भवसागर की लहरों को,
जरा थम जाने दो….
लब्ज ये जरा थमें है,
खामोशी के सिलसिलेे है,
रात घनी अंधेरी है,
सुबह तो आने दो……
तो क्या हुआ जो टूटा आज सपना तेरा,
कभी तो पूरा होगा, ये चाहतों का फसाना
कभी तो मिल ही जाएगी,
तुझको भी मंजिल…….
तुझमें ना कमी कोई है,
बस तेरा ये दौर बुरा है,
वक्त की ये बात है,
जरा इस बारे दौर गुजर जाने दो………..
– कृष्ण सिंह
मेरे बारे में….
मेरा नाम “कृष्ण सिंह” है । मैं सरकारी जॉब में हूँ । हरियाणा के रेवाड़ी जिले के छोटे से गांव में रहता हूँ । कविता अपने लिये लिखता हूं, लेकिन औरों से बाटने में आनन्द की अनुभूति होती है । प्रथम कविता 02 फरवरी 2022 में अमर उजाला अखबार के “मेरे अल्फ़ाज़” ब्लॉग में “कुछ कहने का दिल है आज बहुत दिनों के बाद” शीर्षक से प्रकाशित हुई है। तभी से लिखने की एक नई दिशा मिली हैं । आपके अमुल्य प्रतिकिया के सदैव इन्तजार में… कृष्ण सिंह’…. आप मुझसे बात यहाँ कर सकते …. आप चाहे तो अपना नाम और e-mail id भी दे सकते है ।