बुढ़ापे की कुछ सच्चाईयां
बुढ़ापे में जवानी की बाते याद आयेगी।
गुजरे जमाने की बाते तुम्हे याद आयेगी।।
जवानी में जो इत्र लगाते थे खुश्बू के लिए,
बुढ़ापे में तो आयोडेक्स की खश्बू आयेगी।
सुन लो कह लो मन की बाते दोस्तो से,
फिर तो सुनने की मशीन नज़र आयेगी।
हंस लो दोस्तो के साथ खिल खिलाकर तुम
फिर तो नकली दांतो की बत्तीसी नजर आयेगी।
चल लो टहल लो अपने दोस्तो के साथ,
फिर तो हाथ में तुम्हारे बेत नजर आयेगी।
देख लो नजारा दुनिया का जी भर के तुम,
फिर तो आंखो पर ऐनक नज़र ही आयेगी।
रस्तोगी और क्या लिखे इस बुढ़ापे के बारे में,
फिर हाथ में लिखने को कलम नजर आयेगी।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम