Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Oct 2019 · 1 min read

बीत गई दीवाली

बीत गई दीपावली देकर एक पैगाम
खर्च,प्रदूषण बढाकर करते हो बदनाम

दीवाली का नाम लेकर करते हो काम
नहीं हैं सामाजिक बदनाम हो सरेआम

ढेर पटाखे चलाकर बढाएं कूड़ा कबाड़
वातावरण प्रदूषित,फैला धूँए का पहाड़

ध्वनि प्रदूषण से हुआ भगवान परेशान
हाले इंसान देखके होता है बहुत हैरान

रंक हो या रईस करता खर्चे की भरमार
प्रकृति नियम कायदों को करे दरकिनार

कहें पर्व अच्छाई ज्ञान प्रकाश का प्रतीक
फैलाएँ बुराई अज्ञानता लें ना कोई सीख

मांस मदिरा सेवन, जुआ खेले उस रोज
घर संसार खाक हो,मदहोश है उस रोज

दीवाली देखो उसकी जो ढूँढता है पटाखे
सुबह लगे ढेर पटाखों से अनचले पटाखे

सीख जाओ ओ मानुष कहती हैं दीवाली
साफ सुथरी अप्रदुषित सदैव हो दीवाली

जन गण सुरक्षित,खुशहाल होगी दीवाली
सुख शांति समृद्धि रिद्धि सिद्धि दीवाली

सुखविंद्र सिंह मनसीरत

Language: Hindi
1 Like · 596 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
प्रेम में राग हो तो
प्रेम में राग हो तो
हिमांशु Kulshrestha
दुनिया में भारत अकेला ऐसा देश है जो पत्थर में प्राण प्रतिष्ठ
दुनिया में भारत अकेला ऐसा देश है जो पत्थर में प्राण प्रतिष्ठ
Anand Kumar
सच्चा प्यार
सच्चा प्यार
Mukesh Kumar Sonkar
"ये बात बाद की है,
*Author प्रणय प्रभात*
Collect your efforts to through yourself on the sky .
Collect your efforts to through yourself on the sky .
Sakshi Tripathi
🏞️प्रकृति 🏞️
🏞️प्रकृति 🏞️
Vandna thakur
विधाता छंद (28 मात्रा ) मापनी युक्त मात्रिक
विधाता छंद (28 मात्रा ) मापनी युक्त मात्रिक
Subhash Singhai
2902.*पूर्णिका*
2902.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
नये अमीर हो तुम
नये अमीर हो तुम
Shivkumar Bilagrami
अनसोई कविता............
अनसोई कविता............
sushil sarna
जीवन में दिन चार मिलें है,
जीवन में दिन चार मिलें है,
Satish Srijan
"मन्नत"
Dr. Kishan tandon kranti
ख़ाइफ़ है क्यों फ़स्ले बहारांँ, मैं भी सोचूँ तू भी सोच
ख़ाइफ़ है क्यों फ़स्ले बहारांँ, मैं भी सोचूँ तू भी सोच
Sarfaraz Ahmed Aasee
प्रभु श्री राम
प्रभु श्री राम
Mamta Singh Devaa
करे ज़ुदा बातें हरपल जो, मानव वो दीवाना है।
करे ज़ुदा बातें हरपल जो, मानव वो दीवाना है।
आर.एस. 'प्रीतम'
इतनी उम्मीदें
इतनी उम्मीदें
Dr fauzia Naseem shad
वाणी से उबल रहा पाणि💪
वाणी से उबल रहा पाणि💪
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
जिस दिन
जिस दिन
Santosh Shrivastava
यह जो आँखों में दिख रहा है
यह जो आँखों में दिख रहा है
कवि दीपक बवेजा
" उज़्र " ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
ଆପଣ କିଏ??
ଆପଣ କିଏ??
Otteri Selvakumar
फितरत................एक आदत
फितरत................एक आदत
Neeraj Agarwal
ख्याल
ख्याल
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
लेखनी को श्रृंगार शालीनता ,मधुर्यता और शिष्टाचार से संवारा ज
लेखनी को श्रृंगार शालीनता ,मधुर्यता और शिष्टाचार से संवारा ज
DrLakshman Jha Parimal
तू
तू
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
*मिलती जीवन में खुशी, रहते तब तक रंग (कुंडलिया)*
*मिलती जीवन में खुशी, रहते तब तक रंग (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
बीती यादें भी बहारों जैसी लगी,
बीती यादें भी बहारों जैसी लगी,
manjula chauhan
Stop cheating on your future with your past.
Stop cheating on your future with your past.
पूर्वार्थ
बड़ी ठोकरो के बाद संभले हैं साहिब
बड़ी ठोकरो के बाद संभले हैं साहिब
Jay Dewangan
मिलने के समय अक्सर ये दुविधा होती है
मिलने के समय अक्सर ये दुविधा होती है
Keshav kishor Kumar
Loading...