” बीता समय कहां से लाऊं “
रूठे जन को कैसे समझाऊं
बीता समय कहां से लाऊं
चिड़ियों की चह-चह सुनता जब
आंख मेरी भर आती है
कैसे होंगे बीवी बच्चे
यादें सदा सतातीं हैं
किससे कहूं, कहां मैं जाऊं
व्यथा मैं अपनी किसे सुनाऊं
बीता समय…………………
बेचैन से पापा होंगे
माँ होगी पगलाई सी
राह देखते अपनें होंगे
बीवी होगी घबराई सी
किससे क्या मैं आस लगाऊं
झूठा ख़्वाब किसे दिखलाऊं
बीता समय………………..
कर्ज़ के कितने पैसे होंगे
रिश्ते – नाते कैसे होंगे
मर्माहत परिवार हमारा
कैसे इसको सहता होगा
किसे चुकाऊं,किसे मनाऊं
किससे क्या-क्या मैं बतलाऊं
बीता समय…………………
क़ैद के दिन अब कितने होंगे
कट जायेंगे जितने होंगे
निष्ठुर समय व्यतीत हमारा
ज़ेल का कोई कोना होगा
बीते कल को भूल न पाऊं
कितने ही अब अश़्क गिराऊं
बीता समय………………..
तीन साल तक ज़ेल में बीता
इसको कैसे मैं बिसराऊं
बीता समय…………………
•••• कलमकार ••••
चुन्नू लाल गुप्ता – मऊ (उ.प्र.)