“बीज”
“बीज”
जगत में सृजन का
मूल हूँ मैं,
कभी शूक्ष्म तो
कभी स्थूल हूँ मैं।
अण्डस-पिण्डस सबका
उद्भव मुझ ही से
अणु बनकर भी
होता पराभव मुझ ही से।
“बीज”
जगत में सृजन का
मूल हूँ मैं,
कभी शूक्ष्म तो
कभी स्थूल हूँ मैं।
अण्डस-पिण्डस सबका
उद्भव मुझ ही से
अणु बनकर भी
होता पराभव मुझ ही से।