बिहार
अब बिहार में राजनीति का रहा न कोई जोड़
फिर से भागे चाचाजी एक बार भतीजा छोड़
बड़ी -बडी़ बातें करते थे बड़े – बड़े थे दावे
कुर्सी के लालच में आकर देने लगे छलावे
ऊंचे – ऊंचे ख्वाब दिखाकर उनको डाला तोड़
फिर से भागे चाचाजी एक बार भतीजा छोड़
माटी में मिलने की बातें करते थे जो राजा
उनकी खातिर खुलता देखा बंद पड़ा दरवाजा
आज गले मिलते हैं ,शत्रु कल तक थे घनघोर
फिर से भागे चाचाजी एक बार भतीजा छोड़
राजनीति में कोई भी नीति रही नहीं अब सच में
जो भी चाहो कदम उठाओ सत्ता के लालच में
जिस रस्ते पर स्वार्थ सिद्ध हो गाड़ी को लो मोड़
फिर से भागे चाचाजी एक बार भतीजा छोड़
ख़ुद की बडा़ई करते थे वे चौड़ी करके छाती
बेरोज़गारी की चिंता न गिन ली पूरी जाति
शराबबंदी भी सफल नहीं है झूठा है सब शोर
फिर से भागे चाचाजी एक बार भतीजा छोड़
विक्रम कुमार
मनोरा, वैशाली