बिन पेंदी का लौटा
जिस तरह मनुष्य कपड़े बदलता है ,
जिस तरह गिरगिट रंग बदलती है ,
जिस तरह कुदरत मौसम बदलती है ,
ठीक उसी तरह नेता दल बदलता है ,
फिर उसका तेवर बदलता है ,
फिर उसका मौसम की तरह बयान बदलता है ,
अपने स्वार्थ के लिए यह बिन पेंदी का लौटा ,
यह चिकना घड़ा कितने रंग बदलता है ।