बिन तोले मत बोल
***बिन तोले मत बोल***
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मात्रा भार-16
आहिस्ता आहिस्ता बोलिए
मधुर प्रेम भाषा तुम बोलिए
शब्दों को मुंह में तुम तोलो
तोल कर होठों से बोलिए
वाणी मधुरिम हो मधु जैसी
मृदु मधुर वचन तुम बोलिए
कड़वे शब्द से परहेज करो
चिंतन मंथन करके बोलिए
गर सभी को अपना बनाना
मृदुभाषी बन कर बोलिए
सारे जग में मान बढ़ेगा
संस्कारी वचन तुम बोलिए
मिट्टी में ईज्जत मिल जाती
सोचे बिना मत तुम बोलिए
झूठ भरोसे कुछ यहाँ नहीं
सत्यवचन सदा तुम बोलिए
सत्य सिर को नही झुकने दे
नृप हरिश्चन्द्र भाषा बोलिए
मानव जन्म है दुर्लभ मिला
कोयल सा सुरीला बोलिए
मानवता को जिंदा रखिए
मनसीरत मंदा मत बोलिए
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)