बिना प्रेरणा के
बिना मे प्रेरणा के मेरी जिंदगी में जैसे कोई उमंग ही नही है ।
इंद्रधनुष के सात रंग बने मगर ,कोई अनोखा रंग नहीं है।
संग साथ तेरे काम करके थकावट नहीं होती ,
मगर बिन तुम्हारे बहना कदमआज थक गए ।
स्नेह की छाया में घबराहट नहीं होती ।
अमृत रस को प्यासे नैना प्यासे रहकर थक गए।
जीवनधारा रुकी तुम बिन ,बिन तुम्हारे जल -तरंग नहीं है ।
इंद्रधनुष से सात रंग भरे ,मगर कोई अनोखा रंग नहीं है ।
यह प्यासी आंखें दीदी को तलाश ती ।
बजती घंटी मन -मंदिर में श्रद्धा को तलाश ती।
जिस पर श्रद्धा फूल वारे प्रतिमा संवारती ।
मन के दीप में प्रति क्षण श्रद्धा ज्योति डारती।
मगर ढलते सूरज सी उमंग नहीं है
थके हारे मन को हर दिन वात्सल्य मिल जाता ।
इस टूटे हुए तारे को मानो संबल मिल जाता ।
रेखा समाज से टकराने को थोड़ा सा बल मिल जाता।
बिना प्रेरणा के जीवन में उमंग ही नहीं है।