बिखर गए जो प्रेम के मोती,
बिखर गए जो प्रेम के मोती,
कैसे उन्हे समेटोगे।
प्रीति का धागा टूट गया जो,
कैसे उसको जोड़ोगे ।
गांठ बांधकर जुड़ भी जाए,
तो पहले वाली बात कहां।
मन की गांठ कभी न छूटे,
कर लो कितने भी उपाय यहां
रूबी चेतन शुक्ला
बिखर गए जो प्रेम के मोती,
कैसे उन्हे समेटोगे।
प्रीति का धागा टूट गया जो,
कैसे उसको जोड़ोगे ।
गांठ बांधकर जुड़ भी जाए,
तो पहले वाली बात कहां।
मन की गांठ कभी न छूटे,
कर लो कितने भी उपाय यहां
रूबी चेतन शुक्ला