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14 Jun 2023 · 1 min read

बाल कविता – पीढ़ी

पीढि दर पीढ़ी खेल रहे, सब करते हुए काम,
आओ, शुरू करें अंताक्षरी लेकर हरि का नाम।

म से मम्मी की मम्मी थीं, कहलाती थीं नानी,
जन्म लिया जब मैंने, नानी की पीढ़ी पहली जानी।

न से नातिन आई जग में, बेटी की भी पीढ़ी बदली,
बदलता रहता समय चक्र, आ जाती पीढ़ी अगली।

ल से लड्डू पेड़े खाकर, सब देते खूब बधाई,
जन्म लेती जब नई पीढ़ी, बजते ढोल और शहनाई।

इ से इत्र सी महकती, ये पीढियाँ पक्की-कच्ची
मिटती जायेंगी, नई आयेंगी, बात है ये सच्ची।

च से चार माँ, चार बेटी से, बनी पाँच ये पीढ़ी,
बढ़ती जायेगी ऐसे ही, खत्म न होगी ये सीढ़ी।

ढ से ढपली बजा-बजाकर, लेते पीढ़ियों के नाम,
आओ, शुरु करें अंताक्षरी, लेकर हरि का नाम।

रचयिता–
डॉ नीरजा मेहता ‘कमलिनी’

Language: Hindi
1 Like · 95 Views
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