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3 Nov 2023 · 1 min read

स्वीकार्यता समर्पण से ही संभव है, और यदि आप नाटक कर रहे हैं

स्वीकार्यता समर्पण से ही संभव है, और यदि आप नाटक कर रहे हैं तो समझें आप केवल पात्र है असली नाटककार जिन्दगी हैं। भ्रमित होने से अच्छा श्रमिक होना है। सोचें? जै श्री राम

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