बाल कविता: जंगल का बाज़ार
बाल कविता: जंगल का बाज़ार
आज रविवार है,
जंगल का बाज़ार है,
थैला लेकर चलो भाई,
कहता यह सियार है।
हाथी बेच रहा है आलू,
गोभी लेके बैठा भालू,
भिंडी लेके भेड़िया बैठा,
बेचन को तैयार है।
खरगोश बेचे गाजर मूली,
बंदर की तराजू झूली,
तोरी लौकी लोमडी तोले,
लगती होशियार है।
बैगन करेला हिरन लाया,
गैंडा लेकर कद्दू आया,
चूहा बेचे लाल टमाटर,
एक रुपये के चार है।
शेर वसूले हिसाब लगाए,
गिलहरी भी आवाज लगाए,
मिर्ची ले लो धनिया ले लो
सस्ते की बहार है।
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स्वरचित कविता 📝
✍️रचनाकार:
राजेश कुमार अर्जुन