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26 Jan 2024 · 1 min read

बाल कविता: चूहा

बाल कविता: चूहा

घर में आता मोटा चूहा,
मुंह में दाना खाता चूहा,
चमके आँखे मोटी मोटी,
लम्बी पूँछ हिलाता चूहा।

नुकीले दांत छोटे कान,
कुतरे कपडे करे नुकसान,
जूते काटे बिस्तर काटे,
सबको खूब सताता चूहा।

इधर उधर है दौड़ा फिरता,
नाली और गड्ढे में गिरता,
जब भी दिखती बिल्ली मौसी,
झट बिल में घुस जाता चूहा।

चूहा दान मां लेकर आई,
मक्खन रोटी उसमे लगाई,
सूंघी रोटी आया लालच,
जाल में फंस जाता चूहा।

*********📚*********
स्वरचित कविता 📝
✍️रचनाकार:
राजेश कुमार अर्जुन

2 Likes · 1 Comment · 287 Views
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