बाल कविता : काले बादल
बाल कविता : काले बादल
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गरज रहे हैं काले बादल,
चल रही है तेज पवन।
बरस रहा है ठंडा पानी,
भीग रहे हैं पेड़ उपवन।।
गरज रहे हैं काले बादल, चल रही है तेज पवन-१
छत पर बैठी दादी देखें,
बादल ऊपर चढ़े चढ़े,
धूम-धडाम आवाजें आती
फूट रहे हैं घड़े बड़े।
जोर-जोर से बिजली चमके,
चमके सारा नील गगन।।
गरज रहे हैं काले बादल, चल रही है तेज पवन-२
रिंकू- मिंकू -पिंकू बोले,
बादल कितने प्यारे हैं?
उड़ रहे हैं ऊपर कैसे?
क्या गैस के गुब्बारे हैं?
कितने-लंबे कितने-चौड़े
कितना इनका है वजन?
गरज रहे हैं काले बादल, चल रही है तेज पवन-३
काका चले बाहर घूमने,
सिर पर उनके छाता है।
काला बादल पीछे-पीछे,
ओले भी बरसता है।।
भर गए गहरे गड्ढे नाले,
नदी तालाब गए उफन।।
गरज रहे हैं काले बादल, चल रही है तेज पवन-४
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स्वरचित कविता 📝
✍️रचनाकार:
राजेश कुमार अर्जुन