बारिश!
वो बारिश को निहारने का सपना
साथ हो वो जो दिल से हो अपना
घंटों बैठे खिड़की से बाहर तकना
वो दोनों का हाथ में हाथ पकड़ना
धीमें धीमें से उसके पास सरकना
उसके कंधे पर सिर अपना रखना
गले में बाँहें डाले गोद में सिमटना
उसे निहारना छूना उससे चिपटना
बाल सहलाना प्यार से थपकना
आँखें मिलना कभी पलकें झुकना
होंठ मिलते ही दिलों का धड़कना
अठखेलियों में झूठमूठ भड़कना
मस्ती में इतराना पाँव भी पटकना
घंटों ढेरों सी प्यार की बातें करना
काफ़ी मग उस संग साँझा करना
चुस्कियाँ लेते लेते किताबें पढ़ना!
ख़्वाब अब पूरे ही न हो सकेंगे कभी
अरमान आँसू ही बनकर बहेंगे सभी!
ख़्वाब कहाँ हक़ीक़त होती कहीं है
ये फुहारें मुझे अब भिगोती नहीं हैं!
मैं यहाँ अकेली खिड़की में खड़ी हूँ
सावन की झड़ी है मैं सूखी पड़ी हूँ!