बारिश
बारिश के मोतियाँ बरसा,
आसमान चूमता है धरती;
लाज के मारे धरती,
हो दिखती पानी-पानी।
नदी लगाती वेग की बिंदी,
पेड़ों ने चढ़ाई हरी कमीज,
पहाड़ के दिल पर नमी है,
बादलों का बोझ कुछ कम है।
“बारिश के धुंध भी हरे होते हैं।”
बारिश के मोतियाँ बरसा,
आसमान चूमता है धरती;
लाज के मारे धरती,
हो दिखती पानी-पानी।
नदी लगाती वेग की बिंदी,
पेड़ों ने चढ़ाई हरी कमीज,
पहाड़ के दिल पर नमी है,
बादलों का बोझ कुछ कम है।
“बारिश के धुंध भी हरे होते हैं।”