Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Jan 2024 · 1 min read

प्रेरणादायक बाल कविता: माँ मुझको किताब मंगा दो।

प्रेरणादायक बाल कविता: माँ मुझको किताब मंगा दो।
**************************************

माँ मुझको किताब मंगा दो,
मैं भी पढ़ने जाऊंगा।
सीख सीख कर सारी बातें,
तुमको भी बतलाऊंगा।
माँ मुझको किताब मंगा दो, मैं भी पढ़ने जाऊंगा।

पांच जन्मदिन बीत गए हैं,
अब स्कूल जाना है.
पढ़ लिखकर बनूँगा अफसर
ऐसा मैंने ठाना है.
बैठके ऊंची कुर्सी पर,
मैं भी हुकुम चलाऊंगा।
माँ मुझको किताब मंगा दो, मैं भी पढ़ने जाऊंगा।

गणवेश का कपडा लाना,
अच्छे दर्जी से सिलवाना।
जूते मोज़े और स्वेटर,
अपने हाथों से पहनाना।
पहनकर कोट सबसे ऊपर,
मैं भी टाई लगाऊंगा।
माँ मुझको किताब मंगा दो, मैं भी पढ़ने जाऊंगा।

बस्ता लाओ अच्छा सुंदर,
छपा हो जिसपे भालू बंदर।
रबर पेन्सिल और किताबें,
मम्मी रखना उसके अंदर।
रोटी सब्जी और आचार,
मैं मिल बाँटकर खाऊंगा।।
माँ मुझको किताब मंगा दो, मैं भी पढ़ने जाऊंगा।

पढ़ लिखकर हम बने महान
पूरा हो सर्व शिक्षा अभियान,
माता पिता और गुरुजन का,
बढ़ जाये देश का मान,
पढ़े भारत बढे भारत,
मैं ये बीड़ा उठाऊंगा।
माँ मुझको किताब मंगा दो, मैं भी पढ़ने जाऊंगा।

*******************📚*******************

स्वरचित कविता 📝
✍️रचनाकार:
राजेश कुमार अर्जुन

2 Likes · 51 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
गुरु नानक देव जी --
गुरु नानक देव जी --
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
यारों का यार भगतसिंह
यारों का यार भगतसिंह
Shekhar Chandra Mitra
होली के मजे अब कुछ खास नही
होली के मजे अब कुछ खास नही
Rituraj shivem verma
Line.....!
Line.....!
Vicky Purohit
मुझे बदनाम करने की कोशिश में लगा है.........,
मुझे बदनाम करने की कोशिश में लगा है.........,
कवि दीपक बवेजा
जब दिल ही उससे जा लगा..!
जब दिल ही उससे जा लगा..!
SPK Sachin Lodhi
* सत्य,
* सत्य,"मीठा या कड़वा" *
मनोज कर्ण
मुश्किल है कितना
मुश्किल है कितना
Swami Ganganiya
हमारे पास हार मानने के सभी कारण थे, लेकिन फिर भी हमने एक-दूस
हमारे पास हार मानने के सभी कारण थे, लेकिन फिर भी हमने एक-दूस
पूर्वार्थ
अब किसी से
अब किसी से
Dr fauzia Naseem shad
फादर्स डे ( Father's Day )
फादर्स डे ( Father's Day )
Atul "Krishn"
एकाकी
एकाकी
Dr.Pratibha Prakash
दोहा पंचक. . . नारी
दोहा पंचक. . . नारी
sushil sarna
धीरे धीरे
धीरे धीरे
रवि शंकर साह
अनचाहे अपराध व प्रायश्चित
अनचाहे अपराध व प्रायश्चित
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
हर बार बिखर कर खुद को
हर बार बिखर कर खुद को
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
#शेर
#शेर
*Author प्रणय प्रभात*
जीवनसाथी
जीवनसाथी
Rajni kapoor
"द्वंद"
Saransh Singh 'Priyam'
23/11.छत्तीसगढ़ी पूर्णिका
23/11.छत्तीसगढ़ी पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
बाल कविता : काले बादल
बाल कविता : काले बादल
Rajesh Kumar Arjun
इतना तो करम है कि मुझे याद नहीं है
इतना तो करम है कि मुझे याद नहीं है
Shweta Soni
चुपके से चले गये तुम
चुपके से चले गये तुम
Surinder blackpen
You have climbed too hard to go back to the heights. Never g
You have climbed too hard to go back to the heights. Never g
Manisha Manjari
💐प्रेम कौतुक-463💐
💐प्रेम कौतुक-463💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
रूपमाला
रूपमाला
डॉ.सीमा अग्रवाल
"पहले मुझे लगता था कि मैं बिका नही इसलिए सस्ता हूँ
दुष्यन्त 'बाबा'
जब सब्र आ जाये तो....
जब सब्र आ जाये तो....
shabina. Naaz
मातृशक्ति को नमन
मातृशक्ति को नमन
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
अपना - पराया
अपना - पराया
Neeraj Agarwal
Loading...