बारिश-महोत्सव (हास्य-व्यंग्य)
बारिश-महोत्सव (हास्य-व्यंग्य)
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बारिश पड़ रही थी और बारिश पड़ते- पड़ते ही हमारे मित्र श्री प्यारे लाल जी पधारे। हम पकौड़ी खा रहे थे । कहने लगे “हमें मालूम था। बरसात है तो पकौड़ी भी होगी।” फिर कहने लगे “चटनी नहीं बनवाई” हमने कहा” बरसात में चटनी के लिए धनिया लेने कौन जाए ? ” प्यारे लाल जी ने थैलिया खोली ,धनिया सामने रख दिया। कहा” बनाओ चटनी। बरसात का यही मौसम इस मायने में बहुत अच्छा है कि पकौड़ी और धनिए की चटनी का आनंद मिल जाता है।”
अब हमने बरसात की तारीफ करनी शुरू की और कहा ” बारिश अपने आप में अद्भुत आश्चर्यजनक घटना होती है। यह बहुमूल्य है कि हम आसमान से पानी की बूँदों को गिरते हुए देखते हैं ।”
बस हमारा बरसात की तारीफ करना था कि प्यारे लाल जी उखड़ गए । कहने लगे “इसमें आश्चर्यजनक और बहुमूल्य क्या है? साल के हर महीने में बारिश पड़ती है। हजारों बार बारिशों को देख चुके हैं । बीसियों छाते बरसात के चक्कर में ही खरीदे हैं । दसियों टूट गए, दसियों गुम हो गए। कभी दुकानदारी ठप हो जाती है, कभी सड़क पर पानी भर जाता है। बरसात में बहुमूल्य क्या है ?”
हमने कहा ” बंधु ! आपने प्रश्न पर गंभीरता से विचार नहीं किया। जरा सोचिए! आसमान से पानी की बूंदे टप- टप करके गिर रही हैं । यह कुदरत का करिश्मा है।”
प्यारे लाल जी बोले “जो चीज हम रोजाना देखते हैं उसमें आश्चर्य कैसा ? अरे देखना ही है तो आसमान से गिरती हुई बर्फ को देखो ,जिसे अंग्रेजी में स्नोफॉल कहते हैं और जो पहाड़ों पर होता है। चलो चल कर देखा जाए ! ”
हमने कहा” बिल्कुल यही बात है जो मैं आपसे कहना चाहता हूँ। क्योंकि बर्फ सिर्फ पहाड़ों पर गिरती है , इसलिए वह देखने योग्य है । बरसात क्योंकि हर जगह होती है, इसलिए उसकी कोई कद्र नहीं होती। जरा सोचो ! अगर पूरे उत्तर प्रदेश में केवल हमारे रामपुर में ही बरसात होती ,तो हमारा शहर प्रदेश का सबसे बड़ा पिकनिक- स्पॉट बन चुका होता। पूरे उत्तर प्रदेश से जगह-जगह से लोग हमारे रामपुर में आते और बरसात देखते। जब मौसम विभाग घोषणा करता कि अगले दो-तीन दिनों में रामपुर में बरसात होने वाली है ,तब यहाँ पर सारे होटल बुक हो जाते और घरों में रिश्तेदार आकर डेरा जमा लेते । फिर जब पानी पड़ता और आसमान से बारिश होती ,तब लोग सड़कों पर उस बारिश को आत्मसात करने के लिए पागलों की तरह नाचते, झूमते ,गाते । इसे कहते हैं उत्सव मनाना । तमाम नगरों और महानगरों में बच्चे अपने मम्मी- पापा से जिद करते कि हमने बारिश कभी नहीं देखी है। अगली बार जब बारिश पड़े ,तो हमें रामपुर ले जाकर बारिश जरूर दिखाना। और तब बच्चों की फरमाइश पूरी करने के लिए लोग बारिश देखने के लिए दूर-दूर से चलकर रामपुर आते । तब हमें दूरदराज के क्षेत्रों से आकर बारिश देखना नसीब होती और तब बारिश का होना, बारिश में भीगना, बारिश को देखना तथा बारिश के संगीत को सुनना एक बड़ी घटना होती। आजकल तो बारिश बेचारी मारी- मारी फिर रही है। संगीत की कभी हल्की, कभी सामान्य और कभी तेज लय पर पड़ती है ।कभी इतनी धुँआधार बारिश होती है कि ऐसा लगता है पूरी सृष्टि बह जाएगी । कभी ऐसे हल्के- हल्के पानी की बूँदे जमीन पर आकर पड़ती हैं जैसे कोई दुल्हन नाज- नखरे के साथ जयमाल के सोफे पर आकर बैठी हो। कई बार बारिश डकैती के स्टाइल में दो-चार मिनट में धूम- धड़ाका करती हुई आती है और फिर चली जाती है। कई बार पूरे दिनभर के लिए आलसियों की तरह पाँव पसार कर पड़ी रहती है । कई बार एक-एक सप्ताह तक वर्षा ऋतु में बारिश होती रहती है। जाड़ों की बरसात में कोई भीगना नहीं चाहता । गर्मियों की बरसात में कोई भीगने से बचना नहीं चाहता। बरसात के पानी में नहाने से सब प्रकार के रोग दूर हो जाते हैं, बशर्ते कि बारिश गर्मियों में हो।”
हमारे मित्र बारिश की तारीफ से परेशान होने लगे । बोले ” पकौड़ी का क्या हुआ ? धनिए की चटनी तो बनाओ ।” हमने कहा “बारिश की तारीफ में कुछ कहिए ? “। वह झल्ला कर चले गए । चटनी-पकौड़ी का आइटम टाँय-टाँय फिस्स हो गया।
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लेखक : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर( उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99 97 61 5451