बारिश की मोतियां
बारिश की मोतियां
बारिश की वो मोतियां
लाती है अमीरों में ज्यादा खुशियां
गरीबों को दिख जाती है
असल दुनिया।
जब टपकती है छत से, ये मोतियां
ढूंढते रहते हैं
घर में एक सुरक्षित कोना
बच्चों और अपना जहां
रख सके बिछौना।
आंखों से घुलते देखे
अपना आशियाना
टपकती छत का दर्द
नहीं आता उनको छुपाना।
भूख से बिलखने का दर्द
नहीं आता उनको समझाना।
महलों में रहने वालों के लिए
ये मोतियां मन में लाती है
रोमांटिक दुनिया।
गरीबों के छतों से टपकने वाले
ये मोतियां एहसास कराते हैं,
उन्हें उनके हालातों का
एक को लगता है, बारिश का मौसम
सुहाना।
दूजा ढूंढता फिरता है अपने आशियाने
का ठिकाना।
रचनाकार
कृष्णा मानसी
(मंजू लता मेरसा)
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)