Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Oct 2018 · 1 min read

बापू

बापू
बापू तू अमर्त्य, दिव्यरूप तेरा भास्वर है।
सच पूछो तो तू बापू,अहिंसा का स्वर है।
‘रघुपति राघव’-सम,यही क्या तेरा हृदय था।
अशांति की आँधी पे गाँधी एक हिमालय था।
आज अपेक्षित नहीं, हो तेरा जन्म दुबारा।
पर उपेक्षित भी नहीं, नभ में गुंजित तेरा नारा।
आज के संदर्भ में क्या दूँ बापू,तेरी परिभाषा।
गणितीय आकलन या व्यक्त करूँ मैं भाषा।
युग बदल रहा है,बदल रहे है शब्द और अर्थ।
बदली नहीं वाणी तेरीआज भी,तू कैसे समर्थ?
संकट के उफने समन्दर में बापू तुम टापू थे।
भारत के भाग्य-निर्माता,क्या तुम ही बापू थे?
अंतर्तम के ज्योति तू,ज्योति से दिव्यमान।
आँसुओं से रुद्ध कण्ठ के होठों की मुस्कान।
महाक्रांति के कांति,कांति के धवल आभास।
संक्रान्ति में शान्ति, शान्ति के उज्ज्वल प्रकाश।
स्वतंत्रता-संग्राम-नभ में उदित हुये थे सूर्य तुम।
जन-मन, राही-सिपाही में गुंजित रण तूर्य तुम।

-©नवल किशोर सिंह

Language: Hindi
1 Like · 271 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
उसको भी प्यार की ज़रूरत है
उसको भी प्यार की ज़रूरत है
Aadarsh Dubey
जल उठी है फिर से आग नफ़रतों की ....
जल उठी है फिर से आग नफ़रतों की ....
shabina. Naaz
ख़ुद अपने नूर से रौशन है आज की औरत
ख़ुद अपने नूर से रौशन है आज की औरत
Anis Shah
★संघर्ष जीवन का★
★संघर्ष जीवन का★
★ IPS KAMAL THAKUR ★
क्या खूब दिन थे
क्या खूब दिन थे
Pratibha Pandey
आप मेरे सरताज़ नहीं हैं
आप मेरे सरताज़ नहीं हैं
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
तुम जो आसमान से
तुम जो आसमान से
SHAMA PARVEEN
प्रेरणा
प्रेरणा
पूर्वार्थ
Ranjeet Shukla
Ranjeet Shukla
Ranjeet Kumar Shukla
*पत्रिका का नाम : इंडियन थियोसॉफिस्ट*
*पत्रिका का नाम : इंडियन थियोसॉफिस्ट*
Ravi Prakash
24/250. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
24/250. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
परमात्मा से अरदास
परमात्मा से अरदास
Rajni kapoor
रिश्ता ख़ामोशियों का
रिश्ता ख़ामोशियों का
Dr fauzia Naseem shad
जहर    ना   इतना  घोलिए
जहर ना इतना घोलिए
Paras Nath Jha
■ संजीदगी : एक ख़ासियत
■ संजीदगी : एक ख़ासियत
*Author प्रणय प्रभात*
कहीं पे पहुँचने के लिए,
कहीं पे पहुँचने के लिए,
शेखर सिंह
अन्नदाता किसान
अन्नदाता किसान
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
सखी री आया फागुन मास
सखी री आया फागुन मास
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
किसका  हम शुक्रिया करें,
किसका हम शुक्रिया करें,
sushil sarna
"बरसात"
Dr. Kishan tandon kranti
प्रेम - एक लेख
प्रेम - एक लेख
बदनाम बनारसी
माणुष
माणुष
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
बाल दिवस विशेष- बाल कविता - डी के निवातिया
बाल दिवस विशेष- बाल कविता - डी के निवातिया
डी. के. निवातिया
दोहा
दोहा
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
ज़ख्म दिल में छुपा रखा है
ज़ख्म दिल में छुपा रखा है
Surinder blackpen
कामयाबी
कामयाबी
DR ARUN KUMAR SHASTRI
भौतिकवादी
भौतिकवादी
लक्ष्मी सिंह
रमेशराज के विरोधरस के दोहे
रमेशराज के विरोधरस के दोहे
कवि रमेशराज
सेवा कार्य
सेवा कार्य
Mukesh Kumar Rishi Verma
दोहे-
दोहे-
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
Loading...