बादल
शीर्षक- बादल
गहरा नीला आसमाँ
उसपर रुई से बादल
जैसे
सागर को
अपने आगोश में ले रहे हैं
पर नहीं पता
कि
न मिटने वाली
मीलों की
दूरियाँ है उनके बीच
फाहों के बीच
दौड़ मची है जैसे
अभी छू लेंगे
समंदर का मचलता पानी
-शालिनी मिश्रा तिवारी
( बहराइच, उ०प्र० )