बादल लगते कितने प्यारे हो
बादल लगते कितने प्यारे हो
बादल लगते कितने प्यारे हो
मेरे मन को भाते हो
आकाश में देखूं जब भी मैं बादलों को
अनगिनत आकृतियों में नज़र आते हो
मन को मेरे भाते हो
मिलने को जी ललचाते हो
आकाश की नीली चादर में
गहनों सा आकार बनाते हो
बादल लगते कितने प्यारे हो
मेरे मन को भाते हो
रात को चांदनी में न जानें कहां खो जाते हो
सूरज की लालीमा में कितने रंगीन हो जाते हो
जब भी तुमको देखूं मैं
हर बार नई आकृति में तुम दिख जाते हो
गौर से जब तुमको देखूं मैं
यहां से वहां पल मे उछलकूद मचाते हो
शरारती अधिक हो
एक जगह कदम नहीं टिकाते हो
मेरे मन को न जानें इतना क्यूं भाते हो
जब भी देखूं तुमको मैं हमेशा मुस्कुराते हो
बादल लगते कितने प्यारे हो
मेरे मन को भाते हो
_ सोनम पुनीत दुबे