Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Jul 2020 · 1 min read

बादल भी आज टूट कर रोया है

गरज कर गिर पड़ी बिजलियां
बादल भी आज टूट कर रोया है

तुमने देखा नहीं तो क्या हुआ “जाना”
हमने भी आंखों को खूब धोया है

धूलि आंखो के सुर्ख आंगन में वस्ल के
ख़वाब ने तेरे नाम का चन्दन बोया है

ख्वाब के आंगन में मैं अकेली तो न थी
सुबह तलक ख्वाब हमने साथ बोया है
~ सिद्धार्थ

Language: Hindi
4 Likes · 1 Comment · 196 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
हे गणपति श्रेष्ठ शुभंकर
हे गणपति श्रेष्ठ शुभंकर
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
रमेशराज के मौसमविशेष के बालगीत
रमेशराज के मौसमविशेष के बालगीत
कवि रमेशराज
गर्म हवाओं ने सैकड़ों का खून किया है
गर्म हवाओं ने सैकड़ों का खून किया है
Anil Mishra Prahari
"जियो जिन्दगी"
Dr. Kishan tandon kranti
संस्कृति
संस्कृति
Abhijeet
पवनसुत
पवनसुत
सिद्धार्थ गोरखपुरी
Hajipur
Hajipur
Hajipur
3012.*पूर्णिका*
3012.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*Max Towers in Sector 16B, Noida: A Premier Business Hub 9899920149*
*Max Towers in Sector 16B, Noida: A Premier Business Hub 9899920149*
Juhi Sulemani
सिपाहियों के दस्ता कर रहें गस्त हैं,
सिपाहियों के दस्ता कर रहें गस्त हैं,
Satish Srijan
बेवक़ूफ़
बेवक़ूफ़
Otteri Selvakumar
#मुक्तक
#मुक्तक
*Author प्रणय प्रभात*
दोहे
दोहे
डॉक्टर रागिनी
करवाचौथ
करवाचौथ
Neeraj Agarwal
मात पिता
मात पिता
विजय कुमार अग्रवाल
मोहब्बत
मोहब्बत
अखिलेश 'अखिल'
बटाए दर्द साथी का वो सच्चा मित्र होता है
बटाए दर्द साथी का वो सच्चा मित्र होता है
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
करता रहूँ मै भी दीन दुखियों की सेवा।
करता रहूँ मै भी दीन दुखियों की सेवा।
Buddha Prakash
बीते साल को भूल जाए
बीते साल को भूल जाए
Ranjeet kumar patre
दोहा छन्द
दोहा छन्द
नाथ सोनांचली
मियाद
मियाद
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
रंगों का त्यौहार है, उड़ने लगा अबीर
रंगों का त्यौहार है, उड़ने लगा अबीर
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
ॐ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
*******खुशी*********
*******खुशी*********
Dr. Vaishali Verma
गहरी हो बुनियादी जिसकी
गहरी हो बुनियादी जिसकी
कवि दीपक बवेजा
कदम बढ़े  मदिरा पीने  को मदिरालय द्वार खड़काया
कदम बढ़े मदिरा पीने को मदिरालय द्वार खड़काया
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
सुनो पहाड़ की....!!! (भाग - ७)
सुनो पहाड़ की....!!! (भाग - ७)
Kanchan Khanna
बदलता दौर
बदलता दौर
ओनिका सेतिया 'अनु '
भरी रंग से जिंदगी, कह होली त्योहार।
भरी रंग से जिंदगी, कह होली त्योहार।
Suryakant Dwivedi
दलित साहित्य / ओमप्रकाश वाल्मीकि और प्रह्लाद चंद्र दास की कहानी के दलित नायकों का तुलनात्मक अध्ययन // आनंद प्रवीण//Anandpravin
दलित साहित्य / ओमप्रकाश वाल्मीकि और प्रह्लाद चंद्र दास की कहानी के दलित नायकों का तुलनात्मक अध्ययन // आनंद प्रवीण//Anandpravin
आनंद प्रवीण
Loading...