बादल को रास्ता भी दिखाती हैं हवाएँ
बादल को रास्ता भी दिखाती हैं हवाएँ
पानी को उसके रूप में लाती हैं हवाएँ
मौसम के साथ साथ बदलती हैं रूप को
रफ्तार घटाती हैं बढ़ाती हैं हवाएँ
होकर के निराकार बिना रंग बिना रूप
साकार ये जीवन को बनाती हैं हवाएँ
अच्छी हैं तो दुआ हैं बुरी हो तो मौत हैं
दुलराती कभी हैं तो सताती हैं हवाएँ
तूफान हैं गुस्से में तो हँसी में प्यार हैं
सबको सही औकात बताती हैं हवाएँ
जंगल नदी औ झरने समुन्दर के रूप में
सारी प्रकृति का रूप सजाती हैं हवाएँ
ब्रह्माण्ड महज़ है तो हवाओं के साथ है
जीवों को साँस देके जताती हैं हवाएँ
-महेन्द्र नारायण ‘महज़’