” बात “
” बात ”
‘बात’ जब तक मन में रहती है तो वह दासी की तरह होती है, लेकिन मुँह से व्यक्त हो जाने के बाद वह स्वामिनी बन जाती है।
” बात ”
‘बात’ जब तक मन में रहती है तो वह दासी की तरह होती है, लेकिन मुँह से व्यक्त हो जाने के बाद वह स्वामिनी बन जाती है।