Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Oct 2023 · 2 min read

अफवाह

चार अक्षर के इस शब्द सामान्य न समझिए।आपको पता है और हो सकता है कि अफवाहों के दुष्प्रचार का दुष्परिणाम आपने, आपका परिवार, रिश्तेदार, इष्ट मित्र अथवा अड़ोसियों पड़ोसियों ने झेला और महसूस भी किया हो। अफवाह की एक छोटी सी चिंगारी बड़ी घटना के रूप में प्रज्जवलित होकर, न केवल जन धन की हानि करती है, बल्कि साम्प्रदायिक दंगों का वीभत्स चेहरा भी बन जाती है, भाईचारा का लोप होने लगता है। कल तक भाई भाई की तरह रहने वाले लोग एक दूसरे को मरने मारने पर उतारू हो जाते हैं। एक दूसरे से डर कर दूर भागने छुपने लगते हैं।
यह विडंबना ही है कि महज अफवाह के सहारे छोटी सी बात बड़ी जल्दी इतना फैल जाती है जिसकी कल्पना तक नहीं की जा सकती, सच्चाई जानने की कोशिश के बजाय अफवाहों को एक दूसरे के माध्यम से आगे बढ़ाते हुए झूठ को सच का अमली जामा पहनाने की खातिर असामाजिक तत्व हिंसा, लूटपाट और बहुत बार धार्मिक उन्माद फैलाकर अपना और अपने राजनीतिक धार्मिक आकाओं को खुश करने, अथवा उनके भड़काने अथवा अपने को स्थापित करने, और बहुत बार राजीतिक चेहरा बनने की कोशिश में अफवाहों का सहारा लिया जाता है और इस मौके को अपने लिए अप्रत्याशित अवसर मानकर लाभ लेने की कोशिश में लोकतांत्रिक और मानवीय मूल्यों का गला घोंटने को उतावले हो जाते हैं।
संक्षेप में यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा कि अधिकांश अफवाहें बेसिर पैर वाली होने के बाद भी तमाम तरह की हिंसा, दंगा फसाद, सांप्रदायिक रंग और जाति धर्म का विभेद फैलाने का सूत्र बनता है।
इसलिए हमें अफवाहों की सच्चाई देखने जानने और समझने की जरूरत है न कि एक चिंगारी को शोला बनाने में मदद करके तांडव करने या कराने की। क्योंकि ऐसा करके हम अपने मानव होने के अधिकारों होने का खून करके अपनी राक्षसी प्रवृत्ति का उदाहरण बनकर रह जाते हैं।

सुधीर श्रीवास्तव गोण्डा उत्तर प्रदेश

Language: Hindi
Tag: लेख
112 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मन मेरा गाँव गाँव न होना मुझे शहर
मन मेरा गाँव गाँव न होना मुझे शहर
Rekha Drolia
পছন্দের ঘাটশিলা স্টেশন
পছন্দের ঘাটশিলা স্টেশন
Arghyadeep Chakraborty
पत्थरवीर
पत्थरवीर
Shyam Sundar Subramanian
कर रहा हम्मास नरसंहार देखो।
कर रहा हम्मास नरसंहार देखो।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
दिल के रिश्तों को संभाले रखिए जनाब,
दिल के रिश्तों को संभाले रखिए जनाब,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
ना मुराद फरीदाबाद
ना मुराद फरीदाबाद
ओनिका सेतिया 'अनु '
बाल कविता : बादल
बाल कविता : बादल
Rajesh Kumar Arjun
तुम हकीकत में वहीं हो जैसी तुम्हारी सोच है।
तुम हकीकत में वहीं हो जैसी तुम्हारी सोच है।
Rj Anand Prajapati
यहां कोई बेरोजगार नहीं हर कोई अपना पक्ष मजबूत करने में लगा ह
यहां कोई बेरोजगार नहीं हर कोई अपना पक्ष मजबूत करने में लगा ह
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
जिस समाज में आप पैदा हुए उस समाज ने आपको कितनी स्वंत्रता दी
जिस समाज में आप पैदा हुए उस समाज ने आपको कितनी स्वंत्रता दी
Utkarsh Dubey “Kokil”
3293.*पूर्णिका*
3293.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मुक्तक
मुक्तक
sushil sarna
सरयू
सरयू
डा. सूर्यनारायण पाण्डेय
*धनुष (बाल कविता)*
*धनुष (बाल कविता)*
Ravi Prakash
रमेशराज की तीन ग़ज़लें
रमेशराज की तीन ग़ज़लें
कवि रमेशराज
जो रोज समय पर उगता है
जो रोज समय पर उगता है
Shweta Soni
#ग़ज़ल
#ग़ज़ल
*Author प्रणय प्रभात*
जो चाहने वाले होते हैं ना
जो चाहने वाले होते हैं ना
पूर्वार्थ
अपना - पराया
अपना - पराया
Neeraj Agarwal
-बहुत देर कर दी -
-बहुत देर कर दी -
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
मेरी कलम से…
मेरी कलम से…
Anand Kumar
अपने मन के भाव में।
अपने मन के भाव में।
Vedha Singh
फटा जूता
फटा जूता
Akib Javed
आज वही दिन आया है
आज वही दिन आया है
डिजेन्द्र कुर्रे
हिन्दी
हिन्दी
लक्ष्मी सिंह
ज़िंदगी को दर्द
ज़िंदगी को दर्द
Dr fauzia Naseem shad
🌻 *गुरु चरणों की धूल* 🌻
🌻 *गुरु चरणों की धूल* 🌻
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
चलो चलें बौद्ध धम्म में।
चलो चलें बौद्ध धम्म में।
Buddha Prakash
#Dr Arun Kumar shastri
#Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
कितना छुपाऊँ, कितना लिखूँ
कितना छुपाऊँ, कितना लिखूँ
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...