बाँसुरी
राग द्वेष सब मिट गए ,
प्रीत के अंकुर फूट गए,
बाहरी कड़ियों से बंधन टूट गए,
अंतर्मन से हम जुड़ गए ,
जब कान्हा ने बाँसुरी बजाई।
पेड़-पौधे, पशु-पक्षी झूम उठे ,
पत्थर भी जैसे जी उठे ,
कण-कण में सुर गूंज उठे,
भावों के सागर उमड़ उठे,
जब कान्हा ने बाँसुरी बजाई।
महादेव शिव की कृष्ण को ये भेंट है ,
दिव्य प्रेम का प्रतीक है ,
मानव को प्रभु से जो जोड़े वो डोर है ,
सुख समृद्धि हुए प्राप्त हैं ,
जब कान्हा ने बाँसुरी बजाई।
जीवन था खोखला सा ,
भरी थी उसमें व्यर्थ लालसा ,
हुआ असर अद्भुत ऐसा ,
बना ह्रदय सुकून के गागर सा ,
जब कान्हा ने बाँसुरी बजाई।
मन में मीठी तानें भर गई ,
आनंद की वर्षा कर गई ,
जब तक कहा न जाए मत बोलो ,
जब भी बोलो मीठा बोलो ,
बाँसुरी ये शिक्षा दे गई ।
जब कान्हा ने बाँसुरी बजाई ,
ज़िन्दगी पथ पर आ गई ,
हर आत्मा परमात्मा से मिल गई ,
हर आत्मा परमात्मा से मिल गई ।
इंदु नांदल , विश्व रिकॉर्ड होल्डर
इंडोनेशिया
स्वरचित ✍️