होठों पर कभी अंगार
मायूसी का मत रखना ,
होठों पर कभी अंगार ,
जल जाएगी खुशियां सारी ,
मन पर दुखों का होगा ,
बहुत बड़ा सम्राज्य ,
बाहें फैलाकर आगोश में ,
ले लेगा विकार ,
वंचित तू रह जाएगा,
अपने ही अधिकारों से,
रुखसार अपना धोएगा,
तू बहती अश्रु धारो से,
पल पल निज मन में मरेगा ,
फकत दुखो का पीछा करेगा ,
हासिल कुछ होगा नहीं,
दिन रैन तू बेचैन रहेगा ,
मायूसी से नाता तोड़ो ,
मुस्कान का अधरो से ,
प्यार भरा इक नाता जोड़ो,,
©® रीता यादव