बहार के दिन
खतम होते हैं अब
इंतजार के दिन
लौट
आयगे फिर…
बहार के दिन।
जब भी हम तन्हा
हुए अक्सर
आ गए याद वो
करार के दिन
वक़्त के लम्हे गुजर ही
जाते है….
चाहे खुशी के हो
या रन जो बार के दिन
ज़माना कब ठहरा है
किसी के लिए
मौसम की तरह
होते है प्यार के दिन
कहा से लाए ढूढ़
कर अब उन चेहरों को
देख कर जिनको
गुज़रते थे एतबार के दिन
ना जाने कब कहां
हो जाए ऐसा …
सोच के भी परे.
मिल जाये गुल बहार के दिन