बहारों कि बरखा
बहारो की बरखा ने
दिल की गली में
अरमां मुहब्बत के
कुछ यूं जगाए।।
हवाओं के झोंके में
बारिष की बूंदे
ख्वाबों की मल्लिक
की खुशबू संग लाये।।
भींगा बदन और सांसो
की गर्मी तरन्नुम मोहब्ब
का दिल मे जगाए।।
लम्हा दिल की धड़कन
वारिश के मौसम में
गीत मोहब्बत का गुनगुनाएं।।
सावन के रिमझिम की प्यासी
कली सागर पिया से मिलने
की हसरत का पैगाम लाये।।
चाहत का रिश्ता मोहब्बत
जमी पे जन्नत की खुशियां
झूमती सावन की आशिकी बताएं।।
छुप गया चाँद बादल के
आगोश में
खवबों की मल्लिक के पायल की
छन छन मोहब्बत के आलम
में सावन की बूंदे जिंदगी
में मुहब्बत का मतलब
बताएं।।
नांदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर