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7 Dec 2019 · 1 min read

बहरे लोग सोया समाज

कौन किसकी सुनता
कुछ बहरे हुये
किसी को ख्याल न था
कुछ सियाने
कोई चोर शातिर गिरोह
अपना तो सबकुछ गया
कैसे कह देते
बसा लो अपने
सपनों का भारत
इस मिट्टी में
हमारा भी खून शामिल रहा.
वाद तलक तो ठीक है
विवाद किस बात का
तुम्हारे लिये काँटे
हमारे लिए पुष्प कैसे बना.
हम स्वावलंबी हुये
कर्मठ ईमानदार भी
हुनर है दस्तकार भी
फिर अछूत दलित कैसे हुये
बहरे लोग सोये समाज
कैसी हकीकत साकार हुई आज

Language: Hindi
3 Likes · 1 Comment · 564 Views
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