“बहरापन”
“बहरापन”
कबीर जीवित होते तो
जरूर कह देते
क्या बहरे हो चुके हैं
विधाता लोकतंत्र के,
जो जाप कर रहे
इस विध महामंत्र के।
“बहरापन”
कबीर जीवित होते तो
जरूर कह देते
क्या बहरे हो चुके हैं
विधाता लोकतंत्र के,
जो जाप कर रहे
इस विध महामंत्र के।