जो करो तुम बस करो जी जान से
आपकी झोली भरेगी ज्ञान से.
यदि करोगे मित्रता विद्वान से.
हाथ फैलाना नहीं अपने कभी
हाथ ऊपर रख जियो बस शान से
है सुरक्षित देश का हर नागरिक,
सैनिकों के त्याग से बलिदान से
माफ़ करना ही लगा अच्छा हमें,
कब तलक करते गिला नादान से
लुट रहा था बीच चौराहे पर कोई,
लोग बस बैठे रहे अनजान से
नाम पर जिसके मिला, दुबला रहा,
और मोटे वो हुए अनुदान से
हर सफलता कोशिशों में है छुपी,
बस करो जो भी करो जी जान से