बस इतने के लिए समेट रक्खा है
बस इतने के लिए समेट रक्खा है
खुद को बरसों से
कभी मिलोंगे तो बिखर जाऊंगा
तेरी बाहों में सिद्दत से
शिव प्रताप लोधी
बस इतने के लिए समेट रक्खा है
खुद को बरसों से
कभी मिलोंगे तो बिखर जाऊंगा
तेरी बाहों में सिद्दत से
शिव प्रताप लोधी