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6 May 2024 · 1 min read

बस इतनी सी अभिलाषा मेरी

चाँद बनकर मुस्कराऊँ
सूर्य सा मैं ओज पाऊं
पुष्प बन खुशबू बिखेरूं
सालिला का कल – कल संगीत हो जाऊं

बस इतनी सी अभिलाषा मेरी ……………….

पक्षियों का कलरव हो जाऊं
पवन का मद्धिम वेग पाऊं
बालपन मुस्कराहटों से परिपूर्ण
यौवन को संस्कारों से सजाऊं

बस इतनी सी अभिलाषा मेरी ……………….

पेड़ों पर कोंपल बन निखरूं
चन्दन सा मैं पावन हो जाऊं
गीत बन निखरूं मैं राष्ट्रहित
अम्बर सा विशाल ह्रदय पाऊं

बस इतनी सी अभिलाषा मेरी ……………….

लड़की बन निखरूं धरा पर
प्रेम का समंदर हो जाऊं
सुसंस्कृत माँ बनकर
संस्कारों का मैं विस्तार हो जाऊं

बस इतनी सी अभिलाषा मेरी ……………….

अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

Language: Hindi
1 Like · 79 Views
Books from अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
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