बस्तर का बोड़ा
दो सौ रुपये सोली में बिकता
यह बस्तर का बोड़ा,
महंगे जानकर मुँह ना मोड़ो
स्वाद ले लो थोड़ा।
एक सौ बीस ग्राम की सोली
बस्तर की पुरानी माप,
आज तलक जिन्दा है जो
खुद ही देख लो आप।
बस्तर के जंगलों में उपजता
साल वृक्ष नीचे खुम्बी,
बस्तर में इसे बोड़ा कहते
स्वादिमा बड़े ग़ज़ब की।
पहली बारिश में विकसित होता
बस्तर भूमि में बोड़ा,
दुनिया भर में कहीं न मिलता
बस्तर के सिवा बोड़ा।
एक बार खाकर तो देखो बाबू
ऊंगली चाटते रह जाओगे,
जब तलक रहेगी साँसें तन में
कभी भुला न पाओगे।
(मेरी सप्तम काव्य-कृति : ‘सतरंगी बस्तर’ से..)
डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति
लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड प्राप्त
हरफनमौला साहित्य लेखक