बसंत
बसन्त के रंग-जब बहाती शीतल मंद बयार. कोयल की कू कू महुया कि खूशबू खास।।
खेतो मैं हरियाली खुशहाली की झूमती की बाली।।
हर सुबह सूरज युग की बिशावस की मुस्कान।।
आम के बोैरों की शान मधुर मिठास की बान ।।
अंधेरों के बादल छटे धुंध मुक्त आकाश।।
मुक्त पवन के झोकों में इतराती इठलाती बलखाती अपनी धुन में मुस्काती।।
युग उत्सव के अागमन की सतरंगी ,बहुरंगी कली ,फूल मानव मानवता की बगिया की अभिमान सम्मान।।
राग रग के पंख उमंग बाग, बाग की डाल ,डाल पे तितली भौरो का कलरव मधु मास वसंत का उल्लास।।
निर्मल ,निर्झर बहती नित निरंतर नदिया झरने सागर पर्वत अचल अस्तित्व का मान ।।
जल जीवन का भान सरोवर का पंकज प्राणी प्राण प्रकृति महत्व का युग मे प्रथम शौर्य अवाहन संस्कार ।।