बसंत पञ्चमी
नू तन वस्त्र धरा ने धारे सज गईं सभी दिशाएं धुंधली दिशाएं ओझल हुई अब विकसा रवि मुस्काए।
आज प्रफुल्लित हो सारे मिलकर बसंत मनाएं।
मन में भरें उल्लास बसन्ती समय कीकटुता हंस सह जाएं।
चहुं ओर अज्ञानता तम मां है पसरा
मां शारदे लेके ज्ञान दीप कर में
सुन प्रार्थना झट प्रकट वह हो जाए।
मां ज्ञान चक्षु हों विकसित3 सभी के
अज्ञान तम हर उजेरा फै लाएं।
मिटे बैर तृषणा नफरत हिय। से
विश्व शांति का रेखा दीपक जलाएं
नित्य प्रतिदिन हो सुख समृधि वृद्धि यश बल का परचम नभ मे फहराएं।
हे शारदे मां ऐसा तू वर दे कि भारत अजेय बसंत पंचमी मनाए।