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15 Feb 2021 · 1 min read

*”बसंत ने बजाई शहनाई”*

“बसंत ने बजाई शहनाई”
पीली धानी चुनरिया ओढ़े ,
बसंत ऋतु की रानी आई।
मन में उमंग तरंग जागे गुनगुनी धूप,
नई दुल्हन की तरह से मुस्काई।
????????
कोयल कूके मीठी वाणी में ,
डाली डाली झूमते हुए गाई।
टेशू पलाश के पत्ते झड़ते ,
सुरभित हवा खिलती कलियाँ मन को भाई।
????????
फागुन का आगमन पावन बेला आई।
पीली सरसों खेत खलियानों में ,
धानी चुनरिया ओढाई।
नंदन वन कानन उपवन , भौरे गुनगुनाये तितलियाँ फूलों में मंडराई।
????????
आमों में बौर पेड़ो पे नव पल्लव छाई।
हरित वसुधा ऋतुराज बंसत ,मन हर्षित कर सुंदर सृष्टि सजाई।
टेशू पलाश महकते फूलों ने,बसंती हवाओं में महके पुरवाई ।
अंतर्मन में खुशियां छाई लो फिर *बसंत ने बजाई शहनाई।
????????
शशिकला व्यास✍️

Language: Hindi
1 Comment · 457 Views
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