Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Dec 2020 · 1 min read

बसंत का आगम क्या कहिए….

बसंत का आगम क्या कहिए….

बसंत का आगम क्या कहिए
दिन चमचम रात उजाली है
नत यौवन-भार से आज धरा
हुई मद में गजब मतवाली है

घाम ने अंगों को झुलसाया
शीत ने कैसा कहर बरपाया
घनन-घनन जब बदरा बरसे
नैनों में कजरा टिक न पाया
बीती अब सब जलन-गलन
मुख पर मुस्कान निराली है

पीत परिधान में सज- धज
दूल्हा बन ऋतुराज आया
सकुचाई प्रकृति लाज-भरी
तन- मन में मधुमास छाया
सजी सेज पर बैठी प्रियतमा
नयनों में लाज की लाली है

बंद कलियों ने आँखें खोलीं
पंचम सुर में कोयल बोली
पुष्पित पराग मधु रस पीने
निकल चली भ्रमरों की टोली
देख रुत अभिसार की आई
प्रफुल्लित डाली-डाली है

पतझर में पात झरे जिसके
उस तरु पर भी फूल खिले
ए कामसखा, कुछ कह तो
कौन मंत्र अनूठे ये तूने पढ़े
हमने भी मन में सपने पाले
फिर से नेह-आस लगा ली है

मथ रहा है मानव-मन को
पुष्प-वाण से आज मन्मथ
प्रिय के आगोश में लिपटी
उन्मत्त प्रिया कामकेलि रत
दूर कहीं पर एक विरहन
बस टूट बिखरने वाली है

– डॉ.सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद (उ.प्र.)

Language: Hindi
3 Likes · 4 Comments · 510 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from डॉ.सीमा अग्रवाल
View all
You may also like:
I.N.D.I.A
I.N.D.I.A
Sanjay ' शून्य'
धारा छंद 29 मात्रा , मापनी मुक्त मात्रिक छंद , 15 - 14 , यति गाल , पदांत गा
धारा छंद 29 मात्रा , मापनी मुक्त मात्रिक छंद , 15 - 14 , यति गाल , पदांत गा
Subhash Singhai
2774. *पूर्णिका*
2774. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मैं ना जाने क्या कर रहा...!
मैं ना जाने क्या कर रहा...!
भवेश
आग हूं... आग ही रहने दो।
आग हूं... आग ही रहने दो।
Anil "Aadarsh"
Suni padi thi , dil ki galiya
Suni padi thi , dil ki galiya
Sakshi Tripathi
पेड़ पौधे (ताटंक छन्द)
पेड़ पौधे (ताटंक छन्द)
नाथ सोनांचली
🌷🙏जय श्री राधे कृष्णा🙏🌷
🌷🙏जय श्री राधे कृष्णा🙏🌷
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
चलते रहना ही जीवन है।
चलते रहना ही जीवन है।
संजय कुमार संजू
*घूम रहे जो रिश्वत लेकर, अपना काम कराने को (हिंदी गजल)*
*घूम रहे जो रिश्वत लेकर, अपना काम कराने को (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
सुवह है राधे शाम है राधे   मध्यम  भी राधे-राधे है
सुवह है राधे शाम है राधे मध्यम भी राधे-राधे है
Anand.sharma
मतदान और मतदाता
मतदान और मतदाता
विजय कुमार अग्रवाल
"शिष्ट लेखनी "
DrLakshman Jha Parimal
ऐ दिल तु ही बता दे
ऐ दिल तु ही बता दे
Ram Krishan Rastogi
फिर यहाँ क्यों कानून बाबर के हैं
फिर यहाँ क्यों कानून बाबर के हैं
Maroof aalam
हट जा भाल से रेखा
हट जा भाल से रेखा
Suryakant Dwivedi
असफलता
असफलता
Neeraj Agarwal
मनमुटाव अच्छा नहीं,
मनमुटाव अच्छा नहीं,
sushil sarna
रिश्ते से बाहर निकले हैं - संदीप ठाकुर
रिश्ते से बाहर निकले हैं - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
विनाश नहीं करती जिन्दगी की सकारात्मकता
विनाश नहीं करती जिन्दगी की सकारात्मकता
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
प्रस्तुति : ताटक छंद
प्रस्तुति : ताटक छंद
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
जाने कहाँ से उड़ती-उड़ती चिड़िया आ बैठी
जाने कहाँ से उड़ती-उड़ती चिड़िया आ बैठी
Shweta Soni
■ सोच लेना...
■ सोच लेना...
*Author प्रणय प्रभात*
*कमाल की बातें*
*कमाल की बातें*
आकांक्षा राय
हम उसी समाज में रहते हैं...जहाँ  लोग घंटों  घंटों राम, कृष्ण
हम उसी समाज में रहते हैं...जहाँ लोग घंटों घंटों राम, कृष्ण
ruby kumari
झुकता हूं.......
झुकता हूं.......
A🇨🇭maanush
जीवन का इतना
जीवन का इतना
Dr fauzia Naseem shad
जरूरी नहीं राहें पहुँचेगी सारी,
जरूरी नहीं राहें पहुँचेगी सारी,
Satish Srijan
*प्रेम भेजा  फ्राई है*
*प्रेम भेजा फ्राई है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
एक सूखा सा वृक्ष...
एक सूखा सा वृक्ष...
Awadhesh Kumar Singh
Loading...