I.N.D.I.A
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International =*I*
Nepotism . =*N*
Dynastic. =*D*
Immoral. =*I*
Association. =*A*
77 वर्ष की आजाद भारत का इतिहास घोटालों, देश द्रोह, हिंसा, नक्सलवाद, आतंकवाद, भाषावाद, क्षेत्रवाद, जातिवाद की राजनीति से भरा पड़ा है, इसके केंद्र में नए राजाओं का निर्माण करना ही था। इसी क्रम में इंदिरा, मुलायम, लालू, करुणानिधि, जयललिता, पटनायक, गोगोई, ममता, राजशेखर रेड्डी, प्रकाश सिंह बादल, अब्दुल्ला, सईद जैसे नए राजाओं का निर्माण हुआ और इनके निर्माण में ही भारतीय संघ की सोच को किचन गार्डन में और लोग को मजदूरी पर लगा दिया। अतः इन्होंने अपनी मर्जी से आजादी का उपयोग विषय बदल बदल के किया, और पूरे राष्ट्र को अदृश्य गुलामी में धकेल दिया। हां संगठन और विचार के रूप में उभरते हुए कम्युनिस्ट भी इनके सामने पानी भरने लगे। अब इनका एक छत्र बोलबाला रहा करीब पचास वर्षों तक। इसी बीच संघीय विचार के साथ एक नई रोशनी दिखती है और लोग धीरे धीरे उसे प्रकाशवान बना देते है, इनका जनता को जगाने और नए राजाओं के बारे में बताने का कार्य काम आई और लोगों की भावना, जरूरत को समझने वाली पहली सरकार चुनी ली गई। सरकार जनता के सरोकार पर काम करना शुरू किया और नए राजाओं का किला दरकना शुरू हो गया। अब जनता को लोकतंत्र का स्वाद आने लगा और कई छत्रपों को हासिए पर डाल दिया। अब छत्रपों के अंदर असुरक्षा की भावना बढ़ने लगी और मृत्यु का भय सताने लगा। क्योंकि संघवाद सर्वोपरि और जन सेवा, सरकारों का कर्म होने लगा था। इसी क्रम में एक दूसरे के विरुद्ध भीसड़ युद्ध कर चुके छत्रप, एक दूसरे को देखकर मुस्कराने लगे और आंखों के इशारे से एक दूसरे को नजदीक आने का न्योता देने लगे। इसी का फायदा उठाते हुए, अपने बलपर कभी छत्रप न बन पानेवाला बहरूपिया, एक नाई राजा के रूप में सभी छत्रपों को एक मंच पर लाने में कामयाब होता है, आखिर एक वर्णशंकर संगठन का निर्माण हुआ। चुकी पैदा होने के सवा महीने बाद नामकरण होना था, तो इसपर इन छत्रपों ने INDIA शब्द बड़ी ही धूर्त विचार से उपयोग किया और नए संगठन का नाम INDIA रख दिया। यह इंडिया भारत बिल्कुल नहीं है, एक बार पुनः हजारों झूठ, सत्य के पीछे छुपना चाहते हैं। परंतु यह लोकतांत्रिक लड़ाई अब जनता के सरोकार और छत्रपों के परिवार के बीच होगी, और जनता राक्षस नहीं होती।
मैने I.N.D.I.A को उपरोक्त के रूप में देखा किया है। आपकी सहमति और असहमति दोनों का दिल से स्वागत है। परंतु राष्ट्र और लोक की अवधारणा पर विचार जरूर करें।
We the people