बलदेव छठ
(मनहरण घनाक्षरी)
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देवकी के गर्भ से था, सातवाँ निकाला अंश ,
रोप रोहिणी के गर्भ, माया ने बसाया था ।
वसुदेव सुत को ही , संकर्षण प्यारा नाम ,
देवों ने ही इसीलिये, उनको दिलाया था ।।
बलदेव छट वही दिवस कहाता अब ,
दाऊ जी का जन्मदिन, नंद ने मनाया था ।
बलदाऊ दादा तुम्हें, श्रद्धा से झुकायें शीश ,
तुम सा दयालु भ्रात , कृष्ण ने ही पाया था ।।
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महेश जैन ‘ज्योति’,
मथुरा ।
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