बरसे श्याम बदरिया
चम-चम चमके गड़-गड़ गरजे बिजुरिया
सावन आया बरसे श्याम बदरिया
मिट्टी से सोंधी-सोंधी खुश्बू आई
धरती ओढी मखमल हरित चुनरिया
खुशहाली चहुँओर नवरंग- नव जीवन
किसानों का मन पुलकित आया सावन
मस्त चले पुर्वईया, जोर में है नदिया
पंछियों की कलरव से गुंजित मही- गगन
गुपचुप नज़ारे गीली -गीली रातें हैं
सावन सजनी कारे-कारे हैं बदरा
झीनी-झीनी बरसात मयूरा मन
मन मोहित चहुँओर सुनहरा-सुनहरा
कुसुम कलिकायें में आई नई जोबन
विटप लतिकायें का है सुंदर आवरण
विविध पंछियों की है मधुर पंचम स्वर
धरती रानी ने की दुल्हन रुप धारण
कागज की नाव चलाकर बच्चे मगन
मिली खुशियाँ विभोर है अन्तर्मन
अलबेला मौसम श्याम गीले बादल
पलपल प्रकृति कलिका मौसम चंचल
गुडियां रानी नाच रही छमक-छम
रिमझिम बारिश वन में नाचे मोर
आओं सखी झूले सावन का झूला
आयेगा आज रे ब्रिज के नंदकिशोर
रचनाकार:- दुष्यंत कुमार पटेल “चित्रांश”