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9 Jun 2021 · 1 min read

बरसात की बूंदें

देखता हसीन हूँ जब आंख को मूँदें,
ठहरती पलकों में नहीं रात की नीदें,
होंठ पे आती है रौनक भरी सिहरन,
गिर रहीं दहलीज़ पे बरसात की बूंदें,
चिड़ियां चहक रहीं बच्चे बहक गये,
दिल में उतर गयीं हैं जज़्बात की बूंदें,
आह की हवा से आँचल सरक गया,
जैसे कोई परी हो नादान सी बूंदें,
घुलती रही नशा है बेकाबू हर कोई,
पीकर धरा है झूमीं आसान सी बूंदें,
कुछ गमगीन हुये हैं कुछ हर्ष लिये हैं,
मद मस्त कर रही हैं परेशान सी बूंदें,
जुम्बिश धरा पे जैसे सागर उतर गया,
दहशत सी लग रहीं आसमान की बूंदें,
अंतर कहाँ रहता है अपने पराये का,
सबके लिये तड़पती संसार की बूंदें
जो प्यास मिट गयी मैक़दे में न मिटी,
सीने से लगा दो मेरे अरमान की बूंदें,

3 Likes · 11 Comments · 463 Views
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