“बरसात की थी एक कहानी”
रिमझिम रिमझिम बरसा पानी,
बरसात की थी एक कहानी।
हवा भी थी जोरों से,
बादल भी गरजे शोरो से।
वन उपवन भी भीगा था,
प्रेम रस की बूंदों से।
विरह से जागे पंछी अब कहे प्रेम की जुबानी,
बरसात की थी एक कहानी।
गिर बूंद तन पर मेरे,
एहसस बड़े जागते हैं।
बरसात के मौसम में,
अक्सर याद वहीं आ जाती है।
घनघोर बूंदों के दिन थी रात बड़ी सुहानी,
बरसात की थी एक कहानी।
चाय का प्याला लिए,
भीगे बालों में देखा था।
बारिश में नाचते हुए,
वो खूबसूरत हवा का झोंका था।
आज भी बूंदे करती वहीं मनमानी,
बरसात की थी एक कहानी।