बरसात – अनुपम सौगात
धरा-गगन के मिलन का ,
अनुपम अवसर है बरसात ।
नयन-नीर से कर देता है,
पुलकित वसुधा का गात ।
प्रस्फुटित हो उठती हर तरफ ,
दोनो की चिर प्रणय कहानी ।
चारों तरफ लहराती धरा,
जब अपनी चूनर धानी।
जड़-चेतन सब हर्षित होकर,
व्यक्त करते अपना उल्लास ।
मानव- जीवन में मुखर होता,
प्रकृति का वैभव -विलास।
खुशियों का सतरंगी इन्द्रधनु ,
लहराता मन के आकाश ।
नूतन पल्लव नूतन किसलय में,
खिल- खिल जाता मृदु हास।
बारिश की बूंदों से धुला–धुला
लगे दिन, भीगी -भीगी रात।
ईश्वर ने बरसात की दी है,
सृष्टि को अनुपम सौगात ।
—प्रतिभा आर्य
चेतन एनक्लेव
अलवर ( राजस्थान )