Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 May 2021 · 1 min read

बरसात – अनुपम सौगात

धरा-गगन के मिलन का ,
अनुपम अवसर है बरसात ।
नयन-नीर से कर देता है,
पुलकित वसुधा का गात ।
प्रस्फुटित हो उठती हर तरफ ,
दोनो की चिर प्रणय कहानी ।
चारों तरफ लहराती धरा,
जब अपनी चूनर धानी।
जड़-चेतन सब हर्षित होकर,
व्यक्त करते अपना उल्लास ।
मानव- जीवन में मुखर होता,
प्रकृति का वैभव -विलास।
खुशियों का सतरंगी इन्द्रधनु ,
लहराता मन के आकाश ।
नूतन पल्लव नूतन किसलय में,
खिल- खिल जाता मृदु हास।
बारिश की बूंदों से धुला–धुला
लगे दिन, भीगी -भीगी रात।
ईश्वर ने बरसात की दी है,
सृष्टि को अनुपम सौगात ।

—प्रतिभा आर्य
चेतन एनक्लेव
अलवर ( राजस्थान )

52 Likes · 48 Comments · 2156 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
View all
You may also like:
लोकतन्त्र के हत्यारे अब वोट मांगने आएंगे
लोकतन्त्र के हत्यारे अब वोट मांगने आएंगे
Er.Navaneet R Shandily
अंधेरे में
अंधेरे में
Santosh Shrivastava
बचपन के सबसे प्यारे दोस्त से मिलने से बढ़कर सुखद और क्या हो
बचपन के सबसे प्यारे दोस्त से मिलने से बढ़कर सुखद और क्या हो
इशरत हिदायत ख़ान
हक औरों का मारकर, बने हुए जो सेठ।
हक औरों का मारकर, बने हुए जो सेठ।
डॉ.सीमा अग्रवाल
*गोरे से काले हुए, रोगों का अहसान (दोहे)*
*गोरे से काले हुए, रोगों का अहसान (दोहे)*
Ravi Prakash
बरसातों में मीत की,
बरसातों में मीत की,
sushil sarna
आज जबकि इतना वक़्त हो चुका है
आज जबकि इतना वक़्त हो चुका है
gurudeenverma198
जिंदगी
जिंदगी
Bodhisatva kastooriya
जिस नई सुबह ने
जिस नई सुबह ने
PRADYUMNA AROTHIYA
फिर से अजनबी बना गए जो तुम
फिर से अजनबी बना गए जो तुम
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
रंग है खुबसूरत जज्बातों का, रौशन हर दिल-घर-द्वार है;
रंग है खुबसूरत जज्बातों का, रौशन हर दिल-घर-द्वार है;
manjula chauhan
नास्तिकता
नास्तिकता
मनोज कर्ण
World Book Day
World Book Day
Tushar Jagawat
शीर्षक:गुरु हमारे शुभचिंतक
शीर्षक:गुरु हमारे शुभचिंतक
Harminder Kaur
श्रीकृष्ण
श्रीकृष्ण
Raju Gajbhiye
नया साल
नया साल
विजय कुमार अग्रवाल
जिंदगी भी रेत का सच रहतीं हैं।
जिंदगी भी रेत का सच रहतीं हैं।
Neeraj Agarwal
विजय - पर्व संकल्प
विजय - पर्व संकल्प
Shyam Sundar Subramanian
"जांबाज़"
Dr. Kishan tandon kranti
हाइकु: गौ बचाओं.!
हाइकु: गौ बचाओं.!
Prabhudayal Raniwal
..
..
*प्रणय*
बात तो कद्र करने की है
बात तो कद्र करने की है
Surinder blackpen
23/208. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/208. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
कवि 'घाघ' की कहावतें
कवि 'घाघ' की कहावतें
Indu Singh
कितनी शिद्दत से देखा होगा मेरी नज़रों ने
कितनी शिद्दत से देखा होगा मेरी नज़रों ने
शिव प्रताप लोधी
मेरी कलम से…
मेरी कलम से…
Anand Kumar
ज़ख्म पर ज़ख्म अनगिनत दे गया
ज़ख्म पर ज़ख्म अनगिनत दे गया
Ramji Tiwari
बहुत समय हो गया, मैं कल आया,
बहुत समय हो गया, मैं कल आया,
पूर्वार्थ
अब मैं
अब मैं
हिमांशु Kulshrestha
"कोई कुछ तो बता दो"
इंदु वर्मा
Loading...