बरसती बारिश की बूँदें
****बारिश की बरसती बारिश बूँदें****
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बारिश की बरसती बूँदे लगती हैं कुछ ऐसे
अवनि की जुदाई में आसमां रोता हो जैसे
सूर्य के ताप में तपती जलती रहती धरती
भूमि की गर्मी को ठरती ये बारिश हो जैसे
धरती अंबर दरमियान हैं फांसले ही फांसले
बरसते बादल प्रेमियों को मिलाते हों जैसे
ताकते रहते सदा लाए टकटकी बेइंतहा
इन्तजार अरसे का पल में मिटाती हों जैसे
दिन के उजाले में निहारते रहें दोनों सदा
सूखी अक्षि को आँसुओं में भिगोते हों जैसे
शालीनता से परिपूर्ण बरसती वर्षा बूँदें
सुखविंद्र प्यासी भू को तृप्त करती हों जैसे
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)